सोमवार, 22 नवंबर 2010

मेरुदंड विहीन - -

मेरुदंड विहीन समाज 
पूर्वाग्रहों से ग्रसित,
एक पथिक व 
असंख्य 
बहुमुखी सर्प, पूजा - -
स्थल के सीढ़ियों 
में दो हाथ जोड़े, 
जीवन की 
भीख 
मांगता रहा पथिक - -
दिग्भ्रमित दर्शन, 
उन्मादित 
अनुयायी
रक्त व 
गरल अविराम प्रवाहित। 
अदृश्य शक्ति के लिए
मानव रक्त बहता 
रहा। क़ाश 
अशरीरी 
शक्ति इन्हें रोक पाती
शुद्ध व पवित्र सही 
अर्थों में बना 
पाती। 

-- शांतनु सान्याल