
किसी की याद में ज़िन्दगी यूँ बर्बाद न कीजे
क़ुदरत के बदलते अक्श, फूल ओ वादियाँ
दिल के सोये जज़्बात जगा जाएँ
किसी से मुहोबत की थी तुमने वसीयत तो न
लिख डाली, हवावों ने रुख़ ग़र मोड़ ली हो, तो
तुम अपनी राह बदल डालो
वफ़ा- बेवफाई के क़िस्से हो गये पुराने
ज़िंदगी के फ़लसफ़े बदल डालो
---शांतनु सान्याल
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